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दिवाली पर निबंध – Diwali ka nibandh
प्रस्तावना
दीपावली हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है। यह सम्पूर्ण भारत में कार्तिक अमावस्या के दिन हर्षोल्लास एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन बाजारों में बहुत भीड़-भाड़ रहती है। पूरा बाजार तथा दुकानें रोशनी से जगमगाती रहती हैं।
दीपावली का महत्त्व
लोग अपने घरों में चमचमाती लाइटें, कंडील, मोमबत्तियां एवं दीपक जलाते हैं। दीपावली के इस पर्व को भारत की अधिकतर जनसंख्या किसी-न-किसी रूप से अवश्य मनाती है। कुछ लोगों का मत है कि इसी दिन भगवान श्रीराम चौदह वर्ष का बनवास काटने तथा अत्याचारी रावण का वध करके अयोध्या लौटे थे।
उनके आगमन की खुशी में सभी अयोध्यावासियों ने घर-घर दीपक जलाए थे तथा सम्पूर्ण अयोध्या नगरी को दीपों से दुल्हन के समान सजाया था। इसी के उपलक्ष में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व हमें बुराई पर अच्छाई की जीत की प्ररेणा देता है तथा भगवान राम की तरह एक आदर्श पति, मित्र, भाई बनने की प्रेरणा देता है।
जैन मत के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी को भी इस दिन कैवल्य प्राप्त हुआ था, अतः जैनियों के लिए भी यह एक धार्मिक दिन है। आर्य समाज के प्रवर्तक स्वामी दयानन्द का निर्वाण भी आज के ही दिन हुआ था। अतः इस वर्ग के अनुयायी भी इस दिन को बहुत पवित्र मानते हैं। अतः दीपावली हिन्दुओं के सभी महत्त्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है। इस दिन सभी बच्चे, बड़े, बूढ़े एवं महिला खुशी मनाती हैं।
तैयारियां
दीपावली से चार-पांच दिन पूर्व ही लोग अपने घरों एवं दुकानों की साफ-सफाई में लग जाते हैं। वे पुताई करवाते हैं, कूड़ा एवं गन्दगी बाहर निकालते हैं तथा घर को शुद्ध एवं साफ बनाते हैं। घर, दुकानें, बाजार रंग-बिरंगे कागजों, गुब्बारों और चमकदार पन्नियों आदि से सजाए जाते हैं। बाजारों की शोभा देखते ही बनती है।
जगह-जगह अलग-अलग तरह के बम, फुलझड़ियां, चकरी, लड़ी तथा अन्य प्रकार के पटाखों की दुकाने लगती हैं। बच्चे तथा बड़े सभी पटाखों को खरीदते हैं। इस दिन मिठाई वालों की दुकान पर बहुत भीड़ रहती है। सभी लोग मिठाइयां खरीदकर अपने मित्रों एवं सम्बन्धियों में बांटते हैं।
व्यापारियों के लिए महत्त्व
सभी व्यापारी लोग इस दिन अपने नये बहीखाते चालू करते हैं। वे पहले दुकान पर हवन व पूजा सम्पन्न कर अपने-अपने घरों में पूजा करते हैं।
पूजन विधान
इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी तथा गणेश जी की पूजा की जाती है। महिलाएं घर के अन्दर तथा बाहर पैरों के छापे लगाकर मां लक्ष्मी के आगमन की प्रतीक्षा करती हैं। यह कहा जाता है कि इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी रूपी घरों में थोड़ी-थोड़ी देर निवास करती हैं।
पूजा-अर्चना करने के बाद सभी लोग चाहे वह बच्चा, बूढ़ा या जवान कोई भी हो, नये वस्त्र पहनते हैं तथा एक-दूसरे के गले मिलकर ‘दीपावली मुबारक’ की बधाई देते हैं। इसके बाद में सभी पटाखे छुड़ाते हैं। बच्चों को पटाखे छुड़ाने में बहुत मजा आता है। वे पूरी रात तरह-तरह के पटाखे छुड़ाते रहते हैं। फुलझड़ियां, अनारों और हवाइयों से धरती और आकाश प्रकाश की किरणों से भर जाते हैं ।
इतने सारे गुण होते हुए भी कुछ लोगों ने इसके साथ एक अवगुण जोड़ दिया है। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैं, वे समझते हैं। इस दिन जीते होने पर वर्ष भर उन पर माता रानी लक्ष्मी की कृपादृष्टि बनी रहेगी और उनका पूरा साल सुख एवं शान्ति से व्यतीत होगा।
अंधविश्वास की धारणा
इस प्रकार के अन्धविश्वास के कारण वे हजारों जुए में हार जाते हैं तथा अत्यधिक कर्ज के भागी बन जाते हैं। कुछ लोग इस दिन शराब पीकर घर में लड़ाई-झगड़ा करते हैं जो एक गलत बात है। इससे हमारा सुख एवं शान्ति वाला त्यौहार अशान्ति से समाप्त होता है। उन्हें यह समझना चाहिए कि दीपावली का त्यौहार सामाजिक, आर्थिक दृष्टि से बड़ा ही धार्मिक एवं पवित्र त्यौहार है।
अतः इस दिन उन्हें न तो जुआ खेलना चाहिए और न ही शराब पीकर अपने घर में हंगामा करना चाहिए। इस प्रकार एक-दो अवगुण को छोड़कर दीपावली उल्लास, आर्थिक और प्रगतिसूचक पर्व है।
उपसंहार
इस प्रकार हमें इस आलोक पर्व को पवित्रता, प्रेम तथा उल्लास से मनाकर पारस्परिक सौहार्द की भावना ग्रहण करनी चाहिए।
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दिवाली से संबंधित सवाल – जवाब
- दिवाली किस धर्म का त्यौहार है ?
- दिवाली किस देश में मनाया जाता है ?
- दिवाली किस महीने में आता है ?
- वर्तमान वर्ष 2023 में दिवाली कब है ?
- दिवाली में किस देवी की पूजा की जाती है ?
दिवाली हिन्दू धर्म का त्यौहार है।
दिवाली भारत देश में मनाया जाने वाला प्रमुख त्यौहार है।
दिवाली प्रत्येक वर्ष अक्टूबर या नवंबर में आता है।
वर्तमान वर्ष 2023 में दिवाली 12 नवंबर को है।
दिवाली में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है।
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