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होली पर निबंध – Holi ka nibandh
प्रस्तावना
होली हिन्दुओं का आनन्द और उमंग भरा एक पावन पर्व है। यह प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा को धूमधाम एवं उल्लास से मनाया जाता है। इस त्यौहार को मनाने में प्रत्येक भारतवासी आपसी भेदभ भूलकर सौहार्द से एक-दूसरे से मिलते हैं।
होली का महत्त्व
यह त्यौहार किसानों के लिए भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होता है। इस दिन किसानों की फसल पककर कटने को तैयार रहती है। उनके पूरे साल की मेहनत इस दिन रंग लाती है। इस खुशी में ही वे इस त्यौहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
त्यौहार की कथा
इस त्यौहार के बारे में बहुत प्रचीन कथा दानवराज हिरण्यकश्यप एवं उसके पुत्र प्रहलाद की मानी जाती है। हिरण्यकश्यप दानवों का राजा था। वह भगवान में आस्था नहीं रखता था। सभी का अपमान करता था और अपनी प्रजा से भी वह भगवान की पूजा करने के लिये मना करता था। वह कहता था कि इस संसार में कोई भगवान या देवता नहीं है। सिर्फ मैं ही तुम्हारा भगवान एवं देवता हूं। तुम्हें यदि पूजा करनी है तो मेरी करो। हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद ईश्वर की पूजा करता था।
वह हर समय ईश्वर भक्ति में लीन रहता था। पुत्र की ईश्वर के प्रति आस्था देखकर हिरण्यकश्यप अपने पुत्र को पूजा करने से मना करता था। वह चाहता था कि राज्य की प्रजा की तरह पुत्र भी उसके नाम की माला जपे । पुत्र इसके विपरीत करता था। वह सदा विष्णु भगवान के नाम की माला जपता था। पुत्र के व्यवहार से क्षुब्ध होकर हिरण्यकश्यप ने उसे कठोर-से-कठोर दण्ड दिये, उस पर बहुत अत्याचार किये।
यहां तक कि उसे मारने तक का भी प्रयास किया, किन्तु वह अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो सका। उसे हर बार असफलता हाथ लगी। भक्त प्रहलाद उसके लाख प्रयत्न के बाद भी मृत्यु को न प्राप्त हो सका। एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को जान से मारने के लिए एक योजना बनाई। उसने इस योजना में अपनी बहन होलिका का सहारा लिया। होलिका को किसी देवता से ऐसा वस्त्र प्राप्त था जिसे ओढ़कर उसे आग नहीं जला सकती थी ।
भाई की आज्ञा मानकर एक दिन हौलिका अपने भतीजे प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ गयी तथा अपने देवता से प्राप्त वस्त्र को ओढ़ लिया। प्रभु की भक्त प्रहलाद पर ऐसी कृपा हुई कि जिस वस्त्र को होलिका ने ओढ़ रखा था वह अपने आप प्रहलाद ऊपर ढक गया। इस प्रकार प्रहलाद का तो बाल भी बांका नहीं हुआ किन्तु होलिका आग में जलकर वहीं भस्म हो गयी।
यहां यह कहावत बिल्कुल सही बैठी थी कि जो किसी के लिए यदि गड्ढा खोदता है, वह स्वयं उसी गड्ढे में गिरता है। इसी शिक्षा को दोहराने के लिए यह त्यौहार प्रतिवर्ष उत्साह से मनाया जाता है। रात में होलिका जलायी जाती है।
पर्व मनाने की विधि
कुछ लोग बांस में जौ के पौधे को बांधकर तथा कुछ करछी में कोयले डालकर अग्नि में जलाकर होलिका की परिक्रमा लेते हैं और बाद में बीज को दूसरों में बांटकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं तथा सभी को ‘होली की बधाई देते हैं। इस दिन मित्र हो या दुश्मन, एक-दूसरे को गले मिलकर होली की बधाई देते हैं और एक-दूसरे के चेहरे पर गुलाल लगाते हैं। अगले दिन रंगों की होली ‘दुल्हेंडी’ मनायी जाती है।
इस दिन जगह-जगह शू के फूल पकाये जाते हैं और एक-दूसरे के ऊपर रंग डाला जाता है। बच्चे छतों पर से गुब्बारे एवं पिचकारी भरकर मारते हैं। दुल्हेंडी के दिन जगह-जगह डेक एवं डी०जे० लगाये जाते हैं तथा बच्चे एवं बूढ़ों की टोली घूम-घूमकर नाचते-गाते हुए दूसरे मुहल्ले एवं कॉलोनियों में जाती है तथा नाच-गाना करती है।
आनन्द ही आनन्द
इस दिन सभी लोग अपना मनोरंजन करते हैं। आपसी मतभेदों को भुलाकर पारस्परिक मित्रता का परिचय देते हैं। आपस में नर-नारी युवा-वृद्ध सभी एक-दूसरे के गालों पर रंग-गुलाल मलते हैं। महिलाएं घर पर खाने की स्वादिष्ट वस्तुएं बनती हैं। कोई पानी के बताशे, मिठाई, गुजिया, आइसक्रीम, नमकीन तथा मठरी आदि बनाती और कोई अपनी हैसियत के हिसाब से पूड़ी, हलुवा से ही काम चला लेती हैं। इस प्रकार होली का दिन हर्षोल्लास और उमंग के साथ बीतता है। शाम को लोग एक-दूसरे के यहां मैत्री भाव से आते-जाते हैं।
पर्व के लिए सुझाव
कुछ लोग बहुत ही गन्दी हरकतें करते हैं। वे इस दिन शराब पीकर रंग के स्थान पर कीचड़ आदि गन्दी वस्तुओं को एक-दूसरे के ऊपर फेंकते हैं जिससे झगड़े होने की सम्भावना रहती है। ऐसे लोगों को समझाकर इस पावन पर्व का महत्त्व बताना चाहिए। इस दिन संध्या को सभी बच्चे, बूढ़े, जवान पुरुष एवं महिला नये वस्त्र पहनकर एक-दूसरे के यहां मिठाई देने जाते हैं। पूरे भारतवर्ष में वृन्दावन की होली बहुत ही प्रसिद्ध है।
वहां लट्ठमार होली खेली जाती है तथा होली के एक सप्ताह पहले से ही वहां अनेक कार्यक्रमों का आयोजन होने लगता है। इस होली को देखने के लिए भारतवर्ष से ही नहीं अपितु विदेशों से भी पर्यटक काफी संख्या में वहां आते हैं।
उपसंहार
भारतवर्ष जहां पर्वों और त्यौहारों का देश है। होली अनेक पर्वों में विशिष्ट स्थान रखती है। हमें होली के त्यौहार को सौहार्दपूर्वक मनाना चाहिए तभी इस पर्व के महत्व को अन्य लोग भी स्वंयकार कर सकेंगे।
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होली से संबंधित सवाल – जवाब
- होली किस धर्म का त्यौहार है ?
- होली प्रत्येक वर्ष किस महीने में आता है ?
- वर्तमान वर्ष 2023 में होली कब है ?
होली हिन्दू धर्म का त्यौहार है।
होली प्रत्येक वर्ष मार्च महीने में आता है।
इस वर्ष होली 8 मार्च को है।
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