Essay on contribution of student in nation building in Hindi

Table of Content

  1. Essay on Contribution of students in Nation building in Hindi
  2. राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान से संबंधित सवाल – जवाब

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राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान पर निबंध – Contribution of students in Nation building ka nibandh

प्रस्तावना

राष्ट्र के निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान बहुत आवश्यक होता है क्योंकि आज के विद्यार्थी ही हमारे देश के उज्ज्वल भविष्य हैं, वही राष्ट्र को उन्नत एवं प्रगतिशील बनाते हैं। युवा शक्ति का सागर, उत्साह का स्त्रोत होता है। उसी के कन्धों पर देश के निर्माण और बिकास का भार होता है। इन सब बातों के लिए यह आवश्यक है। कि युवाओं की शक्ति का सर्जनात्मक उपभोग किया जाये। अन्यथा वह अपनी शक्ति को तोड़-फोड़ और असमाजिक विध्वंस कार्यों में लगा सकते हैं। आज के युवक तोड़-फोड़, हड़तालों में अपनी शक्ति व्यर्थ कर रहे हैं। आवश्यक और अनावश्यक मांगों को लेकर उनका आक्रोश दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। यदि छात्रों की इस शक्ति को किसी सर्जनात्मक कार्य में लगा दिया जाये तो हमारा देश विकास की नई ऊंचाइयों को छू सकता है।


छात्र असन्तोष के कारण

छात्र असन्तोष का प्रमुख कारण आधुनिक शिक्षा प्रणाली का दोषयुक्त होना है। इस शिक्षा प्रणाली से विद्यार्थी का बौद्धिक विकास नहीं होता। परिणामतः देश में शिक्षित बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है। छात्र असन्तोष का दूसरा प्रमुख कारण विद्यार्थियों पर राजनीतिक दलों का प्रभाव पड़ना है। कुछ स्वार्थ तथा अवसरवादी राजनीतिज्ञ भी अपने स्वार्थों के लिए विद्यार्थियों का प्रयोग करते हैं। इसके अतिरिक्त समाज के प्रत्येक वर्ग में फैला हुआ असन्तोष भी विद्यार्थियों के असन्तोष के उभरने का मुख्य कारण है।


राष्ट्र निर्माण में योगदान

मनुष्य के विकास की आधारशिला छात्र जीवन ही है। इस दृष्टि से विद्यार्थियों के कन्धों पर अनेक दायित्व आ जाते हैं जिनका निर्वाह करते हुए राष्ट्र निर्माण में वह निम्नलिखित योगदान निभा सकते हैं


(1) अनुशासन :- विद्यार्थियों का दायित्व है कि वे अनुशासन में रहकर देश का चिंतन करें। विद्यार्थियों को अनुशासित सैनिकों के समान अपने कर्त्तव्यों का पालन करना चाहिये, तभी वे राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।


(2) कर्त्तव्य का निर्वाह :- सच्चा विद्यार्थी वही है, जो अपने कर्त्तव्यों; जैसे- राष्ट्र, समाज और परिवार आदि के उत्तरदायित्वों का निर्वाह करता है। इस प्रकार राष्ट्र निर्माण के लिए कर्त्तव्यपरायणता बहुत आवश्यक है।


(3) अनुसन्धान के क्षेत्र में :- विद्यार्थियों के लिए यह आवश्यक है कि वे नवीनतम अनुसन्धानों के द्वारा खोलें। चिकित्सा के क्षेत्र में अध्ययनरत विद्यार्थी औषधि और सर्जरी के क्षेत्र में नवीन अनुसन्धान करें, जिससे मानव का जीवन अधिक सुरक्षित और स्वस्थ बने ।


(4) नैतिक बल बढ़ाना :- मनुष्य का विकास स्वास्थ्य, बुद्धि और चिंतन के द्वारा ही विकसित होता है और इन गुणों का विकास नैतिक विकास पर निर्भर होता है। इसलिए अपने और अपने राष्ट्र के जीवन को समृद्ध एवं सम्पूर्ण बनाने के लिए विद्यार्थियों को अपना नैतिक बल बढ़ाना चाहिये।


उपसंहार

विद्यार्थियों को अपने समाज के उत्थान की दिशा में विचार और मनन करना चाहिये। यदि उन्हें सही दिशा ज्ञान दिया जाये तो विद्यार्थी समाज द्वारा अपने देश के उत्थान में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।


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राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों का योगदान से संबंधित सवाल – जवाब

  1. राष्ट्र निर्माण क्या होता है?
  2. राष्ट्र निर्माण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक देश की संस्थाओं, अर्थव्यवस्था, सामाजिक संरचना और संविधान आदि के माध्यम से देश का विकास होता है। राष्ट्र निर्माण में समाज, सरकार और नागरिकों का भागीदारी महत्वपूर्ण होता है।

  3. राष्ट्र निर्माण क्यों महत्वपूर्ण है?
  4. राष्ट्र निर्माण देश के संचालन, उन्नयन और विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके माध्यम से एक देश की संस्थाओं, अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना सुधारी जा सकती है। राष्ट्र निर्माण के दौरान संविधान, कानून, स्वतंत्रता, समानता, न्याय और स्वच्छता जैसे मूल्यों को संरक्षित रखने का भी काम होता है।

  5. राष्ट्र निर्माण के लिए कौनसी चीजें महत्वपूर्ण होती हैं?
  6. राष्ट्र निर्माण के लिए कुछ महत्वपूर्ण चीजें शामिल होती हैं जैसे संचार, संस्कृति, एकता, अधिकार, न्याय, सुरक्षा और विकास। संचार देश में एकता लाता है, संस्कृति राष्ट्र के संघटन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, अधिकार न्याय के आधार पर होते हैं, सुरक्षा देश की स्थिरता और सशक्तता को सुनिश्चित करती है, विकास देश की समृद्धि का मापदंड होता है और एकता देश की आत्मा होती है।


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